बुंदेली ग़ज़ल
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सांची कै रए सुनो, रामधई!
पीरा हमरी गुनो, रामधई!
जो तुम हमरो भलो चात हो
हमरे कांटा चुनो, रामधई!
तुम निकरे खौलत भये पानी
हम समझे गुनगुनो, रामधई!
बिपत परे में जेई समै ने
धुनिया ने ज्यों धुनो, रामधई!
तुमने सो ऐसो बिलमाओ
सुनत रये खुनखुनो, रामधई!
मैंगाई से जे जी हमरो
सूदे अंगरा भुनो, रामधई!
"शरद" मिली जे ऐसी जिनगी
फट्टा घांई बुनो, रामधई!
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