03 January, 2024

शायरी | सर्द कोहरा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

धूप निकली, न चांदनी निकली
सर्द   कोहरा  बहुत   घनेरा   है
चल के मीलों सदा लगा मुझको
दूर    मुझसे    मेरा    बसेरा  है
 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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