तनहाई को मुझसे ख़ास मोहब्बत है
इसीलिए तो आ कर मेरे घर रहती है
तेरी है औक़ात कहां, जो सपने देखे
मेरी क़िस्मत मेरी रातों से कहती है
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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बढ़िया
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