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03 January, 2024

शायरी | सर्द कोहरा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

धूप निकली, न चांदनी निकली
सर्द   कोहरा  बहुत   घनेरा   है
चल के मीलों सदा लगा मुझको
दूर    मुझसे    मेरा    बसेरा  है
 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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21 May, 2023

शायरी | चांद मुझसे करेगा क्यूं बातें | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
चांद मुझसे  करेगा  क्यूं  बातें 
साथ उसके  तो  चांदनी होगी 
वो अंधेरे  का  दर्द  क्या  जाने  
जिसके दामन में रोशनी होगी 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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08 August, 2017

वह प्रेम है ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

वह प्रेम है
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वह
इतना हल्का भी नहीं
कि उड़ जाए हवा में
इतना भारी भी नहीं
कि पैंठ जाए तलछठ में
वह
भटकता नहीं
चाहे लोग उसे भटकाव ही मानें
वह जलता नहीं
चाहे उसे आग का दरिया ही मानें
वह
एक अहसास है
कोमल, पवित्र
मानो धूप और चांदनी

वह
प्रेम है
मत उछालो उसे फ़िकरे-सा
यहां-वहां
प्रेम की अवमानना से बड़ा अपराध
कोई नहीं।

- डॉ शरद सिंह

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