अनुगूंज
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
उदासी की बूंदें
टपक रही
टप-टप
मन की
रिक्त बाल्टी में...
बूंदें छोटी
पर
अनुगूंज बहुत बड़ी...
कब भरेगी बाल्टी
कब थमेगी ध्वनि
पता नहीं
जीवन के दिवस में
रात का साया
कुछ ज़्यादा ही
गहराया...
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 06 अप्रैल 2023 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत हृदयस्पर्शी...
ReplyDeleteव्याकुल मन की मार्मिक अभिव्यक्ति।