24 November, 2021

सियासत का लहू | शायरी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


इक   हक़ीक़त  की  तरह
झूठ  वो   कहता है   सदा,
उसकी    रग  -  रग     में
सियासत का लहू बहता है
- डॉ शरद सिंह

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6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 25 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. सशक्त यथार्थांकन !

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  3. सशक यथार्थांकन !

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  4. सबसे बड़ा सियासी तो हर इंसान का मन होता है

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  5. वाह! क्या बात है। झूठे व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है।

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