28 November, 2017

जाड़े में सुकून के पल ... डॉ शरद सिंह

Winter ... Poetry of Dr Miss Sharad Singh
जाड़े में सुकून के पल
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जाड़े में
सुकून के दो पल
रजाई, कम्बल या
शॉल में लिपटे हुए
हरगिज़ नहीं होते,
नहीं होते हैं मेरे लिए
वे दो पल
अलाव तापने वाले
या फिर
मोबाईल फोन पर बतियाते
कानों को गरमाने वाले,

एक कप चाय
और एक किताब के साथ
दुबके हुए दो पल
वही तो हैं सबसे सुकून के
मेरे लिए।
- डॉ शरद सिंह


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