Sharad Singh
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21 November, 2017
जाड़े का दिन .... डॉ शरद सिंह
Winter ... Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
जाड़े का दिन
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जाड़े की धूप
और
झुरमुट-सा दिन
कुछ उदास
कुछ ठंडा
कुछ भीगा
आम के बागीचे में
कोहरे-सा
गेहूं के खेत में
धुंधलके-सा
भीत टंगे, धूल अटे
दर्पण-सा
लगता है कभी-कभी
मुट्ठी में बंद
कर्जे के
कुछ रुपयों जैसा।
- डॉ शरद सिंह
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