Winter ... Poetry of Dr Miss Sharad Singh |
इक अलाव जलने दो
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जाड़े की रात
ठिठुराते
बड़े पहर
चलने दो
जीवन में
गरमाहट
लाने को
यादों का
इक अलाव
जलने दो !
- डॉ शरद सिंह
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