Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
कभी तो ठहरो
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कल तुम फिर छोड़ गए मुझे
रीती हुई चाय की प्याली की तरह
न भाप, न तरल
न उष्मा, न ऊर्जा
बेहिसाब थकन
मन की टूटन
बस, कुछ धब्बे तलछट में
एक धब्बा किनारे पर
होठों का
वही होंठ जिनसे कहा था तुमने
‘‘फिर मिलेंगे, जल्दी ही’’
कभी तो ठहरो,
भर जाने दो प्याली फिर से
और फिर से उठने दो
गर्म भाप विचारों की।
- डॉ. शरद सिंह
#SharadSingh #Poetry #MyPoetry
#मेरीकविताए_शरदसिंह #चाय #प्याली #तलछट #धब्बा #थकन
भर जाने दो प्याली फिर से
और फिर से उठने दो
गर्म भाप विचारों की।
- डॉ. शरद सिंह
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बहुअत ही उम्दा रचना। ..
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