Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
पृथ्वी भी मेरी तरह
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हां, मैं हूं नॉस्टैल्जिक
किन्तु बोहेमियन भी
अपनी सारी पीड़ाओं से बाहर घूमती
बगल में दबाए यादों की गठरी
क्योंकि संभव नहीं है फेंकना यादों को
यादें ही तो हैं जो मुझको
मिलाती रहती हैं मुझसे
किसी आईने की तरह
कि सजी थी मैं भी कभी
किसी के लिए
लगा कर माथे पर चांद
ओढ़कर किरणें
पृथ्वी की तरह
इसीलिए शायद
बोहेमियन है पृथ्वी भी मेरी तरह
और कुछ-कुछ
नॉस्टैल्जिक भी।
- डॉ. शरद सिंह
1- नॉस्टैल्जिक = यादों के सहारे जीने वाली
2- बोहेमियन = घुमन्तू
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1- नॉस्टैल्जिक = यादों के सहारे जीने वाली
2- बोहेमियन = घुमन्तू
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मन को छूहता एहसास !
ReplyDeleteकमाल की कविता
ReplyDeleteHearty Thanks Darshan Darvesh ji...
ReplyDeleteHardik Aabhaar Jyoti Khare ji ...
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