Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
पिता
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आयताकार फ्रेम
और काले मोटे काग़ज़ के एल्बम पर
चिपकी हुई
देखी है जो तस्वीर
वही तस्वीर देखी है अकसर
मां के आंसुओं में
नहीं है वह सिर्फ़ एक बेजान तस्वीर
वह तो हैं पिता मेरे
मां, दीदी और मेरी स्मृतियों में जीवित
मेरी नन्हीं मुट्ठी में गरमाती है
आज भी
उनकी मज़बूत उंगली
जो चाहती थी
मैं सीख जाऊं चलना, दौड़ना, उड़ना
और जूझना इस संसार से
यही तो चाहते हैं सभी पिता
शायद ....
- डॉ शरद सिंह
HappyFathersDay
#SharadSingh #Poetry #MyPoetry
#मेरीकविताए_शरदसिंह #पिता #मां #दीदी #तस्वीर #एल्बम #संसार
वह तो हैं पिता मेरे
मां, दीदी और मेरी स्मृतियों में जीवित
मेरी नन्हीं मुट्ठी में गरमाती है
आज भी
उनकी मज़बूत उंगली
जो चाहती थी
मैं सीख जाऊं चलना, दौड़ना, उड़ना
और जूझना इस संसार से
यही तो चाहते हैं सभी पिता
शायद ....
- डॉ शरद सिंह
HappyFathersDay
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#मेरीकविताए_शरदसिंह #पिता #मां #दीदी #तस्वीर #एल्बम #संसार
पिता को समर्पित शब्दों को नमन है ... बेहद भावपूर्ण ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार नासवा जी !
Deleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सुरेन्द्रपाल जी !
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