02 January, 2023

कविता | जीने के लिए - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कविता 
जीने के लिए
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मालूम है
वह
नहीं मिलेगा
कभी,
लेकिन क्या
सिर्फ़ इतने पर
आकाश के तारे को 
देखना छोड़ देते हैं
लोग?
नहीं न !
कुछ भ्रम ज़रूरी हैं जीने के लिए !!
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