24 December, 2021

शीत | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | कविता

शीत
धूप का पहाड़ा
कठिन हो चला है
शीत की गिनती
उंगलियों पर है
ठिठुरन बन के...
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह 

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4 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
    'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. शीत की गिनती उंगलियों में ठिठुरन बन...
    बहुत खूब।

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  3. बहुत बढियां अभिव्यक्ति

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