"नवभारत" के रविवारीय परिशिष्ट में आज "लड़कियां किस्म-किस्म की" शीर्षक कविता प्रकाशित हुई है। आप भी पढ़िए...
हार्दिक धन्यवाद #नवभारत 🙏
लड़कियां किसम-किसम की
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
मूक दर्शक से हम
देखते हैं उन्हें
एक तारीख़
एक दिन
एक समय में -
एक लड़की
रचती है इतिहास
ओलंपिक में
एक लड़की
जोहती है बाट
सज़ा सुनाए जाने की
अपने बलात्कारी को
एक लड़की
होती है शिकार
बलात्कार का
एक लड़की
करती है सर्फिंग
इंटरनेट पर
एक लड़की
होती है ब्लैकमेल
प्रेम-डूबे वीडियो की
अपलोडिंग पर
एक लड़की
होती है भर्ती
पुलिस में
एक लड़की
बेचती है देह
रेडलाईट एरिया में
एक लड़की
करती है संघर्ष
जीने का
एक लड़की
ढूंढती है तरीक़े
आत्महत्या के
एक लड़की
ख़ुश है अपने
लड़की होने पर
एक लड़की
करती है विलाप-
'अगले जनम मोहे
बिटिया न कीजो'
देखो तो,
इस दुनिया में
कितनी
किसम-किसम की हैं
लड़कियां,
समाज के सांचे
और
ढांचे के अनुरूप
यानी,
लड़कियां
हमेशा
एक-सी नहीं रह पाती
हमारे बीच,
एक ही समय में।
------------
#कविता #शरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh #poetry #poetrylovers #poetrycommunity
#डॉशरदसिंह #SharadSingh #Poetry #poetrylovers #HindiPoetry #हिंदीकविता
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-12-2021 ) को 'चार टके की नौकरी, लाख टके की घूस' (चर्चा अंक 4291) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बहुत ही उम्दा सृजन
ReplyDeleteलड़कियों के अनेक समूह छूट गये हैं.......
ReplyDelete