08 October, 2021

अपराधी | कविता | डॉ शरद सिंह

अपराधी
        - डॉ शरद सिंह

मेरी ख़ुशियों की
मृत देह को
कोई जांचे
मेग्नीफाईन ग्लास से
और कर ले मिलान
मेरी क़िस्मत के लेखे से
तो उसे मिलेंगे
शव की गर्दन पर
तुम्हारे ही फिंगरप्रिंट
हर फोरेंसिक जांच में

तुम्हारे ही पैरों के निशान
मेरे आसपास

स्निफर डॉग पाएगा
तुम्हारी ही गंध
मेरे घर से

हर साक्ष्य
चींख-चींख कर
करेगा इशारा तुम्हारी ओर

मगर
तुम बच निकलोगे साफ़
तुम्हारी सर्वसत्ता
बचा लेगी तुम्हें
हमेशा की तरह,
बावज़ूद
हत्या का 
जघन्य अपराध 
करने पर भी

किन्तु नहीं करेंगी माफ़
मेरी मृत ख़ुशियां तुम्हें
और मैं भी नहीं,
हे ईश्वर !
तुम मेरे अपराधी हो
और
रहोगे सदा अपराधी ही
सबूत और दलीलों से भरी 
मेरी अदालत में
हमेशा-हमेशा।
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4 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०९-१०-२०२१) को
    'अविरल अनुराग'(चर्चा अंक-४२१२)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. प्रीति-प्रतिदर्शन !

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  3. अत्यंत मार्मिक सृजन।

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