25 April, 2021

उदास शाम | मुक्तक | डॉ शरद सिंह

उदास शाम का तोहफ़ा मुझे दिया उसने
ख़ुशी भरी जो सुब्ह दे तो शुक्रिया मैं कहूं !

जले जो  साथ  मेरे,  रात  भर  अंधेरे  में
दिले-चराग़ कहूं, उसको इक दिया मैं कहूं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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4 comments:

  1. दोनों ही शेर दिल को छू लेने वाले हैं शरद जी। इस समय आप किस मनःस्थिति में हैं, मैं समझ सकता हूँ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद माथुर जी 🌹🙏🌹

      अवसाद सबसे भयानक मनोदशा होती है... इससे उबरने में शायद बहुत वक़्त लगता है।

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  2. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🌹🙏🌹

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