13 April, 2021

बंद गली | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | कविता

बंद गली
        - डॉ शरद सिंह

कुछ समझ नहीं आता है
कांपता है मन
पत्ते की तरह
हर पल आशंकाओं की लहरें
टकराती हैं पत्थर हो चले दिल से
तभी पता चलता है कि-
दिल का पत्थर होना 
तो फ़क़त धोखा है
रेत के टीले सा दिल 
हर बार बिखर जाता है
कुछ समझ नहीं आता है

उसके सीने में धड़कन
रुक-रुक कर चलती है
दर्द मेरे सीने में भी होता है
उसके सूख चले शरीर में
स्निग्धता आज भी बाकी है
ममत्व की,
वहीं मेरी देह 
टूट कर गिर जाना चाहती है
अस्पताल के सुचिक्कन फर्श पर
किसी भी दिलासा से
अब मन नहीं भरमाता है
कुछ समझ नहीं आता है

गोया, मेरी समझ
हो गई है
बंद गली का आख़िरी दरवाज़ा
जिसके आगे
दम तोड़ दिया है
हर रास्ते ने।
       --------------
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13 comments:

  1. दिल का पत्थर होना
    तो फ़क़त धोखा है
    रेत के टीले सा दिल
    हर बार बिखर जाता है....
    मैं भी, इस सत्य को कभी नकार नहीं पाया। दिल तो दिल है, पसीज ही जाता है खुद ब खुद। ।।।
    सुन्दर रचना हेतु बधाई व शुभकामनाएं। ।।।

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    1. हार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी 🌹🙏🌹

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2099...कभी पछुआ बहे तो कभी पुरवाई है... ) पर गुरुवार 15अप्रैल 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. रवीन्द्र सिंह यादव जी,
      आपका हार्दिक आभार कि आपने "पाँच लिंकों का आनन्द" में मेरी कविता को स्थान दिया है।
      आपको बहुत-बहुत धन्यवाद 🌹🙏🌹

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  3. ओह , हर जगह बंद ही नज़र आती है ... बहुत संवेदनशील रचना .

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    1. हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🌹🙏🌹

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  4. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद उषा किरण जी 🌹🙏🌹

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  5. शरद जी , कदाचित ये रचना आपने अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रही माँ के लिए लिखी है | निशब्द हूँ |
    उसके सीने में धड़कन
    रुक-रुक कर चलती है
    दर्द मेरे सीने में भी होता है
    उसके सूख चले शरीर में
    स्निग्धता आज भी बाकी है
    ममत्व की,
    वहीं मेरी देह
    टूट कर गिर जाना चाहती है
    अस्पताल के सुचिक्कन फर्श पर
    किसी भी दिलासा से
    अब मन नहीं भरमाता है
    कुछ समझ नहीं आता है
    ह्रदय विदीर्ण कर गयीं ये पंक्तियाँ | माँ शीघ्र स्वस्थ हों यही कामना करती हूँ | उनकी ममता की डोर अटूट रहे ये दुआ है |

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    1. जी रेणु जी, आपने सही कहा...मां अस्पताल में हैं ICU में...हार्ट अटैक के कारण....
      आशा और निराशा की लहरें लगातार थपेड़े दे रही हैं...

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    2. माँ के लिए मेरी शुभकामनाएँ शरद जी। वे शीघ्र स्वस्थ हो घर लौटें यही दुआ करती हूँ। 🌹🌹💐💐

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  6. मार्मिक । आपकी माँ शीघ्र स्वस्थ हों, यह प्रार्थना है ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद नूपुरं जी 🌹🙏🌹

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