मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
स्त्रीपाठ - 4
वह स्त्री है
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह
वह
ऊष्मा है
ऊर्जा है
उमंग है
उत्साह है
लय है
लोरी है
तरंग है
त्वरित है
साकार है
सहज है
प्रकृति है
पृथ्वी है
क्योंकि वह स्त्री है।
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नपे-तुले शब्दों में गहन तथ्य का निरूपण किया है शरद जी आपने । गागर में सागर जैसी इस कविता के लिए अभिनंदन आपका ।
हार्दिक आभार जितेन्द्र माथुर जी !!!
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 23 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुंदर रचना
स्त्री पाठ 1 से 5 तक का शामिल की हूँ नारी विमर्श में एक पत्रिका के लिएहार्दिक आभार के संग
नपे-तुले शब्दों में गहन तथ्य का निरूपण किया है शरद जी आपने । गागर में सागर जैसी इस कविता के लिए अभिनंदन आपका ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जितेन्द्र माथुर जी !!!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 23 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteस्त्री पाठ 1 से 5 तक का शामिल की हूँ नारी विमर्श में एक पत्रिका के लिए
ReplyDeleteहार्दिक आभार के संग