01 October, 2020

वृद्धजन दिवस | कविता | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मेरी एक कविता अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 
वृद्धजन दिवस
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- डॉ शरद सिंह
उन सभी वृद्धजन को मेरा प्रणाम -
जो नहीं जानते 
कि आज है वृद्धजन दिवस !!!
वह जो लगा रहा है अदालत के चक्कर
दशकों से 
अपने मृत बेटे को न्याय दिलाने,
झुक गई है उसकी कमर 
घिस गया है चश्मा, 
उस वृद्ध को मेरा प्रणाम !
वह मां जो अपनों के द्वारा 
ठुकरा दी गई 
और बैठी है सड़क के किनारे 
टूटा, पिचका कटोरा लिए भीख मांगते 
पेट की खातिर 
दुआएं देती अपने बच्चों को 
उस मां को प्रणाम ! 
मेरा प्रणाम, उस दादी को, उस नानी को,
उस दादा को, उस नाना को
जो अपने नाती-पोतों को 
लेना चाहते हैं अपनी गोद में
सुनाना चाहते हैं एक कहानी 
मगर छोड़ दिए गए हैं घर से दूर 
एक वृद्ध आश्रम में। 
तो, मेरा प्रणाम उन सभी वृद्धजन को 
जो नहीं जानते कि 
आज वृद्धजन दिवस है !!!
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4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 01 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. यशोदा अग्रवाल जी,
      आभारी हूं कि आपने मेरी कविता को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में शामिल किया।
      हार्दिक धन्यवाद 🙏

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  2. हार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी 🙏

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  3. इस रचना को पढ़कर मन भींग गया, सलाम आपकी कलम को मैम

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