स्त्री से
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
वह जल की तरह
ढल जाती है उस आकार में
जो तुम देते हो-
पाषाण-अहिल्या
परितक्त्या-गर्भवती-सीता
पंचपति-द्रौपदी
उर्वशी या रंभा
देवताओं और मनुष्य के हाथों
छले जाने, शापित होने पर भी
जल की भांति बने रहना
कोई सीखे
स्त्री से।
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