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Shayari of Dr Sharad Singh |
सूरज को रखा
अपनी हथेली पर
हथेली जली नहीं
जानते हो क्यों?
कल शाम ही तो
रखा था तुमने
अपनी चाहत का हरा पत्ता
मेरी हथेली पर
एक स्पर्श के रूप में।
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh
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Shayari of Dr Sharad Singh |
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Shayari of Dr Sharad Singh |