28 September, 2018

चाहत का हरा पत्ता - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh
आज मैंने
सूरज को रखा
अपनी हथेली पर
हथेली जली नहीं
जानते हो क्यों?

कल शाम ही तो
रखा था तुमने
अपनी चाहत का हरा पत्ता
मेरी हथेली पर
एक स्पर्श के रूप में।
- डॉ शरद सिंह

 
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#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

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