Shayari of Dr Sharad Singh |
सोचती हूं कि हिन्दी कहां खो रही
बढ़ रहा आंग्ल का ही है खाता-बही
एक पर एक ग्यारह नहीं है पता
आज बच्चे ‘इलेवन’ को जानें सही
‘इंडिया’ जो कहें आधुनिक-सा लगे
नाम ‘भारत’ तो मानो पुरातन वही
चाह मन की ये सबसे कहूं आज मैं
काश! दुनिया की भाषा हो हिन्दी कभी
- डॉ शरद सिंह
#हिन्दी_दिवस
#हिन्दीदिवस
https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/09/blog-post_14.html
ReplyDeleteशुभकामनाएं।
ReplyDeleteहिन्दी अपने आप बढ़ेगी , हम अपना कर्तव्य निभाएं !
ReplyDeleteहिन्दी में ही लिखें-पढ़ें हम , हिन्दी में ही नाचें-गाएं !!
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