Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
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उड़ना चाहती हूं
एक पंछी की तरह
ख़्वाबों के पंख लगा कर
उन्मुक्त आकाश में,
लाना चाहती हूं
ऐसी धूप
ऐसी हवा
ऐसी बारिश
ऐसा चांद
ऐसे तारे
ऐसा सूरज
जो बदल दे क़िस्मत
सिसकती औरतों की
और वे भी भरे परवाज़
खुले आकाश में
खुशियां बन कर।
- डॉ शरद सिंह
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