मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
आस भरी हो आँखें,जीवन भला अन्त क्यों ताके।
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
ReplyDeleteआस भरी हो आँखें,
ReplyDeleteजीवन भला अन्त क्यों ताके।