मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
sundar
बुढ़ापे में प्यार के लिए भी इश्वर से प्रार्थना करनी पड़ेगी ,,या उनसे जिनको सारी उम्र प्यार दिया ???ज़ज्बा आपका सराहनीय है .....
प्यार अपनों का, प्यार बिना क्या विश्व किसी का।
आदमी पूरी उम्र आशायें और आकांक्षायें सींचता है...बुढ़ापा बचपन की तरह है जब हमें दूसरों के सहारों की आवश्यकता होती है...
sundar
ReplyDeleteबुढ़ापे में प्यार के लिए भी इश्वर से प्रार्थना करनी पड़ेगी ,,या उनसे जिनको सारी उम्र प्यार दिया ???
ReplyDeleteज़ज्बा आपका सराहनीय है .....
प्यार अपनों का, प्यार बिना क्या विश्व किसी का।
ReplyDeleteआदमी पूरी उम्र आशायें और आकांक्षायें सींचता है...बुढ़ापा बचपन की तरह है जब हमें दूसरों के सहारों की आवश्यकता होती है...
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