मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
श्रृंगार रस से ओतप्रोत भीनी कविता बधाई
बाखूबी लिखा है आपने
वाह शरद जी क्या खूब कहा है |खुले आम चोरी सब मौसम का दोष है |आभार |
आओ, तुमसे तुम्हेँ चुरा लूं बनके चोरनी बारिश मेँ बहुत सुन्दर...!
बढ़िया दृश्य-पर यह निगेटिव -भाव बारिश में रिसिया गया, खिसियाया मनमीत |सर्दी खांसी फ्लू से, कौन सका है जीत |कौन सका है जीत, रीत श्रैंगारिक कैसी |दिखलाया यूँ प्रीत, गई पानी में भैंसी |सुबह सुबह का दृश्य, डाक्टर शरद दवा दें |डबल डोज खा जाँय, मस्त सी फिजा गवाँ दें ||
ये चंद पंक्तियों के भाव जितने गहरे हैं , मन को अंतर तक छू गए.
very nice...
बहुत सुन्दरमनभावन:-)
बहुत प्यारी रचना..
मन को भीगोती सुंदर रचना ...
बारिश में मन को चुराती सुंदर प्रस्तुति,,,बधाई शरद जी,,,,RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
भावजगत की रिम झिम होती ,सुनो सहेली बारिश में नील गगन मस्ताया कैसा देख सहेली बारिश में.
आदरणीया डॉ शरद जी मनमोहक कविता सावन की हरियाली और झमाझम बारिश में प्रणय गीत... मोर मन झूम उठा ....जय श्री राधे भ्रमर ५
बहुत सुन्दर
वाह! बहुत सुन्दर.श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.शरद जी,समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आकर'फालोअर्स और ब्लोगिंग'के सम्बन्ध में मेरा मार्ग दर्शन कीजियेगा,
क्या लिखू ? ज़रा सोचने दें .
श्रृंगार रस से ओतप्रोत भीनी कविता बधाई
ReplyDeleteबाखूबी लिखा है आपने
ReplyDeleteवाह शरद जी क्या खूब कहा है |खुले आम चोरी सब मौसम का दोष है |आभार |
ReplyDeleteआओ, तुमसे तुम्हेँ चुरा लूं
ReplyDeleteबनके चोरनी बारिश मेँ
बहुत सुन्दर...!
बढ़िया दृश्य-
ReplyDeleteपर यह निगेटिव -भाव
बारिश में रिसिया गया, खिसियाया मनमीत |
सर्दी खांसी फ्लू से, कौन सका है जीत |
कौन सका है जीत, रीत श्रैंगारिक कैसी |
दिखलाया यूँ प्रीत, गई पानी में भैंसी |
सुबह सुबह का दृश्य, डाक्टर शरद दवा दें |
डबल डोज खा जाँय, मस्त सी फिजा गवाँ दें ||
ये चंद पंक्तियों के भाव जितने गहरे हैं , मन को अंतर तक छू गए.
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमनभावन:-)
बहुत प्यारी रचना..
ReplyDeleteमन को भीगोती सुंदर रचना ...
ReplyDeleteबारिश में मन को चुराती सुंदर प्रस्तुति,,,बधाई शरद जी,,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: जिन्दगी,,,,
भावजगत की रिम झिम होती ,सुनो सहेली बारिश में
ReplyDeleteनील गगन मस्ताया कैसा देख सहेली बारिश में.
आदरणीया डॉ शरद जी मनमोहक कविता सावन की हरियाली और झमाझम बारिश में प्रणय गीत... मोर मन झूम उठा ....जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर ५
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
शरद जी,समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आकर
'फालोअर्स और ब्लोगिंग'के सम्बन्ध में मेरा मार्ग दर्शन कीजियेगा,
क्या लिखू ? ज़रा सोचने दें .
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