मैं ग़ज़ल की एक क़िताब हूं,
मुझे साथ अपने रखा करो।
मिरी सांस-सांस है शायरी
मुझे तुम अदब से पढ़ा करो।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
( मेरे गजल संग्रह "पतझड़ में भीग रही लड़की" से )
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