06 April, 2012

इन दिनों....


27 comments:

  1. नज़र में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
    यह और बात है, दुनियां नज़र न पहचाने।

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  2. सुंदर उद्गार ...!!
    शुभकामनायें ...

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  3. कुछ तो हुआ है...

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति!
    शुभकामनाएँ!

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  5. बहुत खूब, गजल भी और प्रस्‍तुति भी।

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  6. हाले दिल सुनाना भी नहीं अच्छा .

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  7. शायद! दिल के किसी कोने में कोई खुशी बसी
    हो इन दिनों.....
    शुभकामनाएँ!

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  8. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

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  9. बहुत सुन्दर लिखा है।

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  10. समय के इस सौन्दर्य को शब्दों में समेट लें।

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  11. वाह!! जाने क्या हुआ इन दिनों...

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  12. शुभकामनायें स्वीकार करें ...

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  13. aapki rachnaaaon ka andaaj hee nirala hai..bahut dino baad aapki rachna padhne ko mili..sadar badhayee aaur amantran ke sath

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  14. बेहतरीन प्रेम कविताएँ लिखी हैं आपने , बहुत बढि़या।

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  15. बहुत गंभीर सोच है ....देखिये क्या निष्कर्ष निकलता है ....!

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  16. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  17. आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ..बहुत सुन्दर और काव्यात्मक पृष्ट सज्जा है आपके ब्लॉग कि..अच्छा लगा..

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  18. बहुत खूब ... ल्कुच हो गया .. और पता भी न चला ... यकीनन प्रेम ही होगा ...

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  19. इन दिनों दिल मेरा मुझसे है कहा रहा, तू ख़्वाब सजा, तू जी ले जरा ....
    बहुत सुंदर ...

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  20. बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने ... बधाई .

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  21. हाँ डॉ शरद जी इन दिनों सब कुछ नया नया लगता है रंग रूप भाव सब बदलता है दर्पण देख देख हंसता है हँसता है रुलाता है बहुत राग विराग भी दे जाता है ...
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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