मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
नज़र में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,यह और बात है, दुनियां नज़र न पहचाने।
सुंदर उद्गार ...!!शुभकामनायें ...
कुछ तो हुआ है...
वाह!इसे भी देखें-घर का न घाट का
सुंदर अभिव्यक्ति!शुभकामनाएँ!
बहुत खूब, गजल भी और प्रस्तुति भी।
सुंदर अभिव्यक्ति
कुछ तो हुआ है ..... :):)
आभार ।
हाले दिल सुनाना भी नहीं अच्छा .
शायद! दिल के किसी कोने में कोई खुशी बसी हो इन दिनों.....शुभकामनाएँ!
वाह ...
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
बहुत सुन्दर लिखा है।
समय के इस सौन्दर्य को शब्दों में समेट लें।
वाह!! जाने क्या हुआ इन दिनों...
शुभकामनायें स्वीकार करें ...
aapki rachnaaaon ka andaaj hee nirala hai..bahut dino baad aapki rachna padhne ko mili..sadar badhayee aaur amantran ke sath
बेहतरीन प्रेम कविताएँ लिखी हैं आपने , बहुत बढि़या।
बहुत गंभीर सोच है ....देखिये क्या निष्कर्ष निकलता है ....!
सुन्दर अभिव्यक्ति
आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ..बहुत सुन्दर और काव्यात्मक पृष्ट सज्जा है आपके ब्लॉग कि..अच्छा लगा..
बहुत खूब ... ल्कुच हो गया .. और पता भी न चला ... यकीनन प्रेम ही होगा ...
इन दिनों दिल मेरा मुझसे है कहा रहा, तू ख़्वाब सजा, तू जी ले जरा ....बहुत सुंदर ...
सुन्दर अभिव्यक्ति.....बधाई.....
बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने ... बधाई .
हाँ डॉ शरद जी इन दिनों सब कुछ नया नया लगता है रंग रूप भाव सब बदलता है दर्पण देख देख हंसता है हँसता है रुलाता है बहुत राग विराग भी दे जाता है ... जय श्री राधे भ्रमर ५
नज़र में ढ़ल के उभरते हैं दिल के अफ़साने,
ReplyDeleteयह और बात है, दुनियां नज़र न पहचाने।
सुंदर उद्गार ...!!
ReplyDeleteशुभकामनायें ...
कुछ तो हुआ है...
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteइसे भी देखें-
घर का न घाट का
सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
बहुत खूब, गजल भी और प्रस्तुति भी।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकुछ तो हुआ है ..... :):)
ReplyDeleteआभार ।
ReplyDeleteहाले दिल सुनाना भी नहीं अच्छा .
ReplyDeleteशायद! दिल के किसी कोने में कोई खुशी बसी
ReplyDeleteहो इन दिनों.....
शुभकामनाएँ!
वाह ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है।
ReplyDeleteसमय के इस सौन्दर्य को शब्दों में समेट लें।
ReplyDeleteवाह!! जाने क्या हुआ इन दिनों...
ReplyDeleteशुभकामनायें स्वीकार करें ...
ReplyDeleteaapki rachnaaaon ka andaaj hee nirala hai..bahut dino baad aapki rachna padhne ko mili..sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteबेहतरीन प्रेम कविताएँ लिखी हैं आपने , बहुत बढि़या।
ReplyDeleteबहुत गंभीर सोच है ....देखिये क्या निष्कर्ष निकलता है ....!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ..बहुत सुन्दर और काव्यात्मक पृष्ट सज्जा है आपके ब्लॉग कि..अच्छा लगा..
ReplyDeleteबहुत खूब ... ल्कुच हो गया .. और पता भी न चला ... यकीनन प्रेम ही होगा ...
ReplyDeleteइन दिनों दिल मेरा मुझसे है कहा रहा, तू ख़्वाब सजा, तू जी ले जरा ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर ...
सुन्दर अभिव्यक्ति.....बधाई.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं आपने ... बधाई .
ReplyDeleteहाँ डॉ शरद जी इन दिनों सब कुछ नया नया लगता है रंग रूप भाव सब बदलता है दर्पण देख देख हंसता है हँसता है रुलाता है बहुत राग विराग भी दे जाता है ...
ReplyDeleteजय श्री राधे
भ्रमर ५