मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
बहुत खूब, लाजबाब !
ग़ज़ल पढ़कर मन प्रसन्न हो गया
बेहद भावपूर्ण रचना..आभार.
इंतेज़ार करती आँखें बेहद खूबसूरत...
वाह ...बहुत खूब कल 28/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! ... मधुर- मधुर मेरे दीपक जल ...
भावपूर्ण रचना.
एक शे’र याद आ गया। शेयर कर लूं?तुम इतनी देर लगाया न करो आने मेंकि भूल जाये कोई इन्तिज़ार करना भी
बहुत बढियां
लाजवाब
बेहतरीन सृजन , अपने सन्देश में सफल .....बधाईयाँ जी
jaldee ye intezaar khatm jo sharad jee
खूबसूरत...........
बहुत सुन्दर............तब तक याद करके मुस्कुराइए...:-)अनु
मन के महल रिक्त हैं अब भी।
वाह! बहुत ही बढ़ियासादर
bahut achchi nd sachchi abhiwyakti......mere blog pr kab??/
बहुत खूब ... सब कुछ इस मुस्कुराहट के साथ .. उन्ही के आने पे तो है ...कम शब्दों में गहरी बात ...
ये मुस्कान और बहार यूं ही बनी रहे
शरद जी बहुत छोटी सी बात है मगर सबकुछ है इसमें !
लाजवाब....सादर।
इतना खूबसूरत इंतजार...... वाह !!!!!
once again beautiful lines with touching emotions and feelingswonder ful picture.
बहुत खूब.
सुन्दर ...कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफसे भी मेरे जीने की वजह तुम हो ...तुम आओ तो साँसों में इजाफा हो जायें !
वाह,....बहुत उम्दा ,सुंदर भाव लाजबाब पोस्ट,....शरद जी बधाई MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बहुत सुंदरक्या कहने
सुन्दर भाव कणिका.कविता के अनुरूप बोलती सी आँखें .इंतज़ार पर एक परम्परागत दृष्टि -कागा सब तन खाइयो ,चुन चुन खाइयो ,मॉस दो नैना मत खाइयो ,पीया मिलन की आस .उर्दू शायरी का एक रंग इंतज़ार का ये भी -न कोई वक्त ,न उम्मीद ,न कोई वायदा ,रह गुजर पर खड़े थे -करना था तेरा इंतज़ार .
बहुत सुन्दर डॉ शरद जी ...इन्तजार के बाद फूल सा खिलना आनन्द दाई पल ..जय श्री राधे भ्रमर ५
भारत तथा मध्यप्रदेश के आदिवासी जीवन पर ग्यारह पुस्तकें, I am interesting in above books. Pl Mail me in Details. ThanksVinod Shukla
बहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDeleteग़ज़ल पढ़कर मन प्रसन्न हो गया
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteआभार.
इंतेज़ार करती आँखें बेहद खूबसूरत...
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब
ReplyDeleteकल 28/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... मधुर- मधुर मेरे दीपक जल ...
भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteएक शे’र याद आ गया। शेयर कर लूं?
ReplyDeleteतुम इतनी देर लगाया न करो आने में
कि भूल जाये कोई इन्तिज़ार करना भी
बहुत बढियां
ReplyDeleteलाजवाब
Deleteबेहतरीन सृजन , अपने सन्देश में सफल .....बधाईयाँ जी
ReplyDeletejaldee ye intezaar khatm jo sharad jee
ReplyDeleteखूबसूरत...........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर............
ReplyDeleteतब तक याद करके मुस्कुराइए...
:-)
अनु
मन के महल रिक्त हैं अब भी।
ReplyDeleteवाह! बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
bahut achchi nd sachchi abhiwyakti......mere blog pr kab??/
ReplyDeleteबहुत खूब ... सब कुछ इस मुस्कुराहट के साथ .. उन्ही के आने पे तो है ...
ReplyDeleteकम शब्दों में गहरी बात ...
ये मुस्कान और बहार यूं ही बनी रहे
ReplyDeleteशरद जी बहुत छोटी सी बात है मगर सबकुछ है इसमें !
ReplyDeleteलाजवाब....
ReplyDeleteसादर।
इतना खूबसूरत इंतजार...... वाह !!!!!
ReplyDeleteonce again beautiful lines
ReplyDeletewith touching emotions and feelings
wonder ful picture.
बहुत खूब.
ReplyDeleteसुन्दर ...कुछ पंक्तियाँ मेरी तरफसे भी
ReplyDeleteमेरे जीने की वजह तुम हो ...तुम आओ तो साँसों में इजाफा हो जायें !
वाह,....बहुत उम्दा ,सुंदर भाव लाजबाब पोस्ट,....शरद जी बधाई
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
सुन्दर भाव कणिका.कविता के अनुरूप बोलती सी आँखें .इंतज़ार पर एक परम्परागत दृष्टि -
ReplyDeleteकागा सब तन खाइयो ,चुन चुन खाइयो ,मॉस
दो नैना मत खाइयो ,पीया मिलन की आस .
उर्दू शायरी का एक रंग इंतज़ार का ये भी -
न कोई वक्त ,न उम्मीद ,
न कोई वायदा ,
रह गुजर पर खड़े थे -
करना था तेरा इंतज़ार .
बहुत सुन्दर डॉ शरद जी ...इन्तजार के बाद फूल सा खिलना आनन्द दाई पल ..
ReplyDeleteजय श्री राधे
भ्रमर ५
भारत तथा मध्यप्रदेश के आदिवासी जीवन पर ग्यारह पुस्तकें,
ReplyDeleteI am interesting in above books. Pl Mail me in Details. Thanks
Vinod Shukla