30 January, 2019

इंतज़ार (नज़्म) - डॉ शरद सिंह

इंतज़ार (नज़्म)
Dr (Miss) Sharad Singh

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सब्ज़ पत्तों का
इंतजार
अभी तक है उसे
कि उसके आने का
ऐतबार अभी तक है उसे
शज़र वो देख रहा रास्ता
महीनों से
हुआ है कैसा बदल
आज के जमाने में
बदल रही है यहां रुत भी
बेवफ़ा की तरह.......

- डॉ शरद सिंह


Intezar - Nazm of Dr ( Miss) Sharad Singh


लहू का रंग (नज़्म) - डॉ शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh
लहू का रंग (नज़्म)
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लहू का रंग न बदला है
न बदलेगा कभी
फ़िजा में घोल दो जितनी भी
सियासत की लहर
लहू तो जिस्म में उसके भी बह रहा है जो
जल रह है ग़रीबी की आग में देखो
रहेगा वो तो हमेशा की तरह फुटपाथी
कि जिसके ज़ेब में रहता है
रोज सन्नाटा
वो हाथठेले पे ख़्वाबों को बेचता ही रहा
कि जिसके हाथ में
ख़्वाबों की लकीरें ही न थीं
लहू तो लाल था उसका
जिसे दवा न मिली
लहू तो लाल था उसका भी
जिसे दुआ न मिली
लहू तो लाल ही होता है हर किसी का मगर
ज़र्द दिखता है जो हो जाय धरम का मारा
ज़र्द दिखता है जो हो जाय शरम का मारा
लहू के रंग को रहने दो लाल ही वरना
पड़ेगा खुद के लहू से यूं एक दिन डरना...।

24 January, 2019

तेरी याद की शम्मा (नज़्म) - डॉ. शरद सिंह

 
Dr (Miss) Sharad Singh

तेरी याद की शम्मा
(नज़्म)
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मेरी तनहाई के आले में
तेरी याद की शम्मा
उजाले की कसम ले कर
जली जाती है रातो-दिन
मेरी सांसें भी चलती हैं तो
धीमी..और धीमी सी
कहीं झोंका मेरी सांसों का शम्मा को बुझा न दे
कि जब तक है खड़ी दीवार मेरे जिस्म की, तब तक
ये आला है, ये शम्मा है, ये सांसे हैं, ये यादें हैं
कि उसके बाद तनहाई रहेगी खुद ही तन्हा सी
कि खंडहर टूट जाएगा
कि आला छूट जाएगा
कि शम्मा की बुझी बस्ती
अंधेरा लूट जाएगा.....।
- डॉ. शरद सिंह


18 January, 2019

मुहब्बत में शरारत का मज़ा ... - डॉ. शरद सिंह

Mohabbat Me Shararat Ka... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
मुहब्बत में  शरारत का  मज़ा   कुछ और होता है
कहा इक ने   तो  दूजे ने   सुना  कुछ और होता है
यही है तो  अलग अंदाज़ा अपने इश्क़ का, बेशक़
कि दुनिया और कुछ समझे, हुआ कुछ और होता है
- डॉ. शरद सिंह

शॉल, कोट, स्वेटर और जाड़े की रात ... - डॉ. शरद सिंह

Shawl, Coat, Sweater ... Ghazal By Dr (Miss) Sharad Singh

 शॉल, कोट, स्वेटर और जाड़े की रात
दूध चाय, शक्कर और जाड़े की रात
याद बहुत आता है ट्रेन के सफ़र में
घर का वो बिस्तर और जाड़े की रात
- डॉ शरद सिंह

उसे दी थी सदा ...- डॉ. शरद सिंह

Use Di Thi Sadaa ... Ghazal by Dr (Miss) Sharad Singh

उसे दी थी सदा पर वो कभी मुड़कर नहीं आया
अंधेरा छा गया हो, साथ   फिर  देता नहीं साया
हमारा ही जुनूं था,  हम   पुकारे  ही  गए उसको
वो बादल था कहीं बरसा,यहांपर फिर नहीं छाया
- डॉ शरद सिंह

11 January, 2019

मैं कौन हूं...- डॉ. शरद सिंह

 
Mai Kaun Hun ... (Nazm) by Dr (Miss) Sharad Singh

मैं कौन हूं...
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मैं कौन हूं ये बताना कभी नहीं मुमकिन
मगर मैं हूं तो इसी क़ायनात का ज़र्रा
नहीं हूं चांद, नहीं आफ़ताब,
कुछ भी नहीं
यही बहुत है कि
दुनिया का एक हूं हिस्सा!
- डॉ. शरद सिंह


नफ़रतें तो किसी काम आती नहीं - डॉ. शरद सिंह

Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
नफ़रतें तो किसी काम आती नहीं
दुश्मनी, दुश्मनी को मिटाती नहीं - डॉ. शरद सिंह

02 January, 2019

नए साल में हर नई बात हो ... डॉ शरद सिंह

New Year Wishesh from Dr (Miss) Sharad Singh
नए  साल  में  हर  नई बात हो
   खुशियों की हरदम बरसात हो
   तमन्ना हो पूरी  सभी की सदा
चमकता हुआ दिन भी हो,रात हो
- डॉ शरद सिंह