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19 June, 2019

तौबा-तौबा .. ( ग़ज़ल ).. - डॉ शरद सिंह

Tauba Tauba ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh


तौबा-तौबा 
गुनाहे - इश्क़ से तौबा-तौबा
तुम्हारे रश्क़ से तौबा-तौबा
तुम्हारी याद में रो कर देखा
किया फिर अश्क़ से तौबा-तौबा
- डॉ शरद सिंह




11 January, 2019

नफ़रतें तो किसी काम आती नहीं - डॉ. शरद सिंह

Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
नफ़रतें तो किसी काम आती नहीं
दुश्मनी, दुश्मनी को मिटाती नहीं - डॉ. शरद सिंह

22 November, 2018

करवटों का हिसाब भी पूछो - डॉ शरद सिंह

करवटों का हिसाब भी पूछो - डॉ शरद सिंह Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
क्यूं न आए थे ख़्वाब भी पूछो
करवटों का हिसाब भी पूछो
ज़िन्दगी कट रही भला कैसे
साथ इसका जवाब भी पूछो
- डॉ शरद सिंह


30 October, 2018

ये गुब्बारे - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh with Balloons
सुनो ज़रा क्या कहते हैं ये गुब्बारे
धार  हवा  की  सहते हैं  ये गुब्बारे

रंगों की ये बांध पोटली  कांधे पर
भीतर-भीतर  दहते  हैं  ये गुब्बारे

बंधे हुए हैं पर इनको परवाह नहीं
अपनी रौ  में  बहते  हैं ये  गुब्बारे

बच्चे, बूढ़े, युवा कहीं कोई भी हो
सब के मन को गहते हैं ये गुब्बारे

किसी हसीं सपने के जैसे लगते हैं
‘शरद’ धूप मे उड़ते हैं  ये गुब्बारे

                             - डॉ. शरद सिंह



21 July, 2018

हमें कहना नहीं आया ... डॉ शरद सिंह ... ग़ज़ल

Hame Kahna Nahi Aaya ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
हमें कहना   नहीं आया
तुम्हें सुनना  नहीं आया
भले ही दिल ने दोनों के
हमेशा ही तो समझाया
- डॉ शरद सिंह

10 July, 2018

दिल हुआ रंगरेज देखो, इन दिनों - डॉ शरद सिंह


Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh
दिल हुआ रंगरेज देखो, इन दिनों
रंग रहा है इश्क़ की चादर यहां
छत नहीं, दीवार न हो, न हो दर भी
है वहीं घर, ढाई हों आखर जहां
- डॉ शरद सिंह


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दिल तो ठहरा एक जुलाहा - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh

दिल तो ठहरा एक जुलाहा
ख़्वाब की चादर बुनता है
इश्क़ का ताना-बाना लेकर
रंग वफ़ा के चुनता है
- डॉ शरद सिंह


रात के नाम - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh

रात के नाम   एक  ख़त लिखना
चांद है फिर उदास, मत लिखना
- डॉ शरद सिंह


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11 June, 2018

कॉलेज वाले दिन ... डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh
सवारी सायकिल की और वो कॉलेज वाले दिन
लम्बे लेक्चर संग   नोट्स के  नॉलेज वाले दिन
नहीं भूले अभी तक  बंक कर  टॉकीज़ में जाना
पकौड़े ब्रेड  के   और  कैंटीन-कॉटेज वाले दिन
- डॉ शरद सिंह


08 June, 2018

दिल की पाठशाला में ... डॉ शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh, Author, Sociel Activist
मैं लैला या कि  शीरीं या  कि तेरी  हीर हो जाऊं
मगर तू भी तो मजनूं, राझणां,  फरहाद हो जाए
जो मैंने पढ़ लिया है पाठ, दिल की  पाठशाला में
वो पूरा पाठ तुझको भी तो इक दिन याद हो जाए
- डॉ शरद सिंह



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15 May, 2018

ठीक वहीं से ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

ठीक वहीं से
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शब्द खो देते हैं
जब अपनी ध्वनियां
ठीक वहीं से

शुरु होता है
अंतर्मन का कोलाहल
और गूंज उठता है
प्रेम का अनहद नाद
बहने लगता है
अनुभूतियों का लावा
धमनियों में
रक्त की तरह।
- डॉ शरद सिंह


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