ग़ज़ल : तनहाई है
- डॉ शरद सिंह
चौतरफा सन्नाटा है, तनहाई है
देखो, क़िस्मत कहां मुझे ले आई है
दीवारों से बातें करना कठिन हुआ
मेरे दुखड़े से छत भी घबराई है
हरपल आंखों में आंसू भर आते हैं
बेबस दिल की ये कैसी भरपाई है
झूठे हर्फ़ों की इतनी भरमार हुई
स्याही भी काग़ज़ से अब शरमाई है
"शरद" हौसले की पतवारें साबुत हैं
कश्ती भर चट्टानों से टकराई है
--------------
#तनहाई #ghazal #shayri #poetry
#literature #डॉसुश्रीशरदसिंह #ग़ज़ल
#DrMissSharadSingh #shayarilovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh
No comments:
Post a Comment