वो न आए तो ये उसकी मर्ज़ी
हम तो ख़्वाबों में उसे पाते हैं।
है गिला और ना शिकवा कोई
अपनी तनहाई जिए जाते हैं।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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