18 July, 2023

शायरी | कभी सोचा न था | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कभी सोचा न था, ये ज़िन्दगी, 
यूं ट्रेजडी बन जाएगी ।
सभी हो जाएंगे रुख़सत, 
हमें इक मौत भी न आएगी ।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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