28 October, 2022

ग़ज़ल | शायरी | ये भी कोई जीना है | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


ग़ज़ल / शायरी 

दिल पर पत्थर रख कर जीना,
ये भी कोई जीना है?
कोई मुझे बताये आख़िर
कितने आंसू पीना है?

          - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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1 comment:

  1. अनुत्तरित प्रश्न है प्रिय शरद जी।जीवन में अधिक दर्द इसे बोझिल बना देता है।

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