31 October, 2022

ग़ज़ल | ठंड | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

ठंड  खिल रही  धीरे-धीरे।
धूप  ढल   रही  धीरे-धीरे।

दिन तेजी से दौड़ लगाता
रात  चल   रही  धीरे-धीरे।

कोट, पुलोवर, स्वेटर वाली
सुबह मिल  रही  धीरे-धीरे।
 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
#ठंड #जाड़ा #ग़ज़ल #शायरी
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3 comments:

  1. 👍🏼ठंड का आना अच्छा लगता है और जाना बहुत मर्मांतक।

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  2. आती ठ शरद ऋतु पर सुंदर पंक्तियां।

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  3. आदरणीया मैम , शरद ऋतु को समर्पित सुंदर पंक्तियाँ । मन में आनंद बिखेरता, बहुत प्यार स छंद ।

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