औरतें
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
संस्कृति की रक्षा करें औरतें।
अंधेरा दिलों का हरें औरतें।
ज़मीं पर सफलता की पर्याय जो
हवा में उड़ाने भरें औरतें।
मुसीबत कोई भी दिखे सामने
कभी भी न उससे डरें औरतें।
वे घर और दफ्तर दोनों जगह
साबित स्वयं को करें औरतें।
प्रसवपीर हंस कर हैं सहतीं सदा
जीवन की कड़ियां धरें औरतें।
जो अंगार बनतीं, खुश हों अगर
तो फूलों के जैसे झरें औरतें।
मौसम 'शरद' का या गर्मी का हो
मेहनत हमेशा करें औरतें।
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#औरतें #ग़ज़ल #डॉशरदसिंह #अंतर्राष्ट्रीयमहिलासप्ताह
औरत है तो संसार है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🙏🌹🙏
Deleteसंसार तो है ही ! संस्कार,वात्सल्य,प्रेम, मानवता सभी कुछ उसके होने से ही संभव है
Deleteवाह , औरतें ही संभाल सकतीं सब । बहुत सुंदर ग़ज़ल ।
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🌹🙏🌹
Deleteसंस्कृति की रक्षा करें औरतें।
ReplyDeleteअंधेरा दिलों का हरें औरतें।
ज़मीं पर सफलता की पर्याय जो
हवा में उड़ाने भरें औरतें।
बहुत अच्छी, स्त्रियों को समर्पित ग़ज़ल
साधुवाद 🙏
हार्दिक धन्यवाद वर्षा सिंह दी 🌹🙏🌹
Deleteदिग्विजय अग्रवाल जी,
ReplyDelete"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
सुंदर गजल है मैम
ReplyDeleteनारी सम्मान को उद्घृत करती सुंदर नज़्म..आपको हार्दिक शुभकामनाएं शरद जी ..सादर..
ReplyDeleteजो अंगार बनतीं, खुश हों अगर
ReplyDeleteतो फूलों के जैसे झरें औरतें।
वाह.....
बहुत खूब !
ReplyDeleteआपकी इस छोटे-छोटे शेरों वाली ग़ज़ल का हर्फ़-हर्फ़ सच और सिर्फ़ सच है शरद जी ।
ReplyDeleteनारी सम्मान में लिखी सुन्दर रचना
ReplyDeleteनारी सृष्टि को रचने वाली अनोखी रचना है, बहुत ही सुंदर गजल शरद जी , आपको बहुत बहुत बधाई हो, नमन
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर गजल
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनभावन गजल...
ReplyDelete:-)
प्रसवपीर हंस कर हैं सहतीं सदा
ReplyDeleteजीवन की कड़ियां धरें औरतें।
जो अंगार बनतीं, खुश हों अगर
तो फूलों के जैसे झरें औरतें।
वाह्ह !