17 June, 2020

पृथ्वी भी मेरी तरह (कविता) - डॉ. शरद सिंह

Prithvi Bhi Meri Tarah, Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
पृथ्वी भी मेरी तरह
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- डॉ. शरद सिंह

हां, मैं हूं नॉस्टैल्जिक
किन्तु बोहेमियन भी
अपनी सारी पीड़ाओं से बाहर घूमती
बगल में दबाए यादों की गठरी
क्योंकि संभव नहीं है फेंकना यादों को
यादें ही तो हैं जो मुझको
मिलाती रहती हैं मुझसे
किसी आईने की तरह
कि सजी थी मैं भी कभी
किसी के लिए
लगा कर माथे पर चांद
ओढ़कर किरणें
पृथ्वी की तरह
इसीलिए शायद
बोहेमियन है पृथ्वी भी मेरी तरह
और कुछ-कुछ
नॉस्टैल्जिक भी।
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1- नॉस्टैल्जिक = यादों के सहारे जीने वाली
2- बोहेमियन = घुमन्तू

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#मेरीकविताए_शरदसिंह #नॉस्टैल्जिक #बोहेमियन #पृथ्वी #यादों_की_गठरी #आईने #चांद

2 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ जून २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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