मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
हम आपकी उम्मीद के साथ हैं ....
आपकी और हम सब की उम्मीदों को ...शुभकामनायें!
इस घिनौनी हरकत से दिल दहल जाता है।गली में क्रोध से विकलांग टहल आता है।अपेक्षा है संसद से जिसमें एक चिर युवा ऐसे ही मामले से बाइज्ज़त बरी किया जाता है। यहाँ हर मामला कुछ दिन ही गरमाता है।बासी होकर मानवाधिकार आयोग जाता है।जोशीले गीदड़ मासूमों का शिकार करते हैंये देखकर ही ठंडे शेरों में उबाल आता है।
बेहतरीन प्रस्तुति,,,,, सितम की कामयाबी पर मुबारक बाद देता हूँ,ये उनकी बदगुमानी है कि फरियादी समझते है,,,,,"अकबर"recent post: वजूद,
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गहन अभिवयक्ति......
बड़े बुझे मन से कह रही हूँ...हाँ उम्मीद है कि फिर न होगा ऐसा....सादरअनु
उम्मीद है...काश फिर से न टूटे..
काश आप की उम्मीद को सारे देश का संबल मिले।
एक यही आशा हमेशा मन में बनी रहती है कि फिर ऐसा नहीं होगा। लेकिन फिर-फिर ऐसा होता है और मन में आशा फिर भी बनी रहती है अब शायद शासन कठोर होकर अपनी कमियों को सुधारेगा। कुछ भी हो ... आशा नहीं मरती।
ये अक्सर हो जाता है क्यूँ हर बार तेरे साथ मेरी माँ बहन बेटी मुझसे पूछ बैठते हर रोज
ऐसी उम्मीद तो है पर क्या पताः(
सभी दुखी हैं, पर चंद दिनों में सब भूल जायेंगे, पर वो मासूम शायद कभी नही भूल पायेगी...क्या हम वाकई सभ्य और शिक्षित समाज में रहते हैं?रामराम.
chintan ko bibash kartee shandaar panktiyan ..ek prashn bankar jehan me utar gayee hain...sadar badhayee aaur amantran ke sath
आमीन ...
हम आपकी उम्मीद के साथ हैं ....
ReplyDeleteआपकी और हम सब की उम्मीदों को ...
ReplyDeleteशुभकामनायें!
इस घिनौनी हरकत से दिल दहल जाता है।
ReplyDeleteगली में क्रोध से विकलांग टहल आता है।
अपेक्षा है संसद से जिसमें एक चिर युवा
ऐसे ही मामले से बाइज्ज़त बरी किया जाता है।
यहाँ हर मामला कुछ दिन ही गरमाता है।
बासी होकर मानवाधिकार आयोग जाता है।
जोशीले गीदड़ मासूमों का शिकार करते हैं
ये देखकर ही ठंडे शेरों में उबाल आता है।
बेहतरीन प्रस्तुति,,,,,
ReplyDeleteसितम की कामयाबी पर मुबारक बाद देता हूँ,
ये उनकी बदगुमानी है कि फरियादी समझते है,,,,,"अकबर"
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ReplyDeleteगहन अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबड़े बुझे मन से कह रही हूँ...हाँ उम्मीद है कि फिर न होगा ऐसा....
ReplyDeleteसादर
अनु
उम्मीद है...काश फिर से न टूटे..
ReplyDeleteकाश आप की उम्मीद को सारे देश का संबल मिले।
ReplyDeleteएक यही आशा हमेशा मन में बनी रहती है कि फिर ऐसा नहीं होगा। लेकिन फिर-फिर ऐसा होता है और मन में आशा फिर भी बनी रहती है अब शायद शासन कठोर होकर अपनी कमियों को सुधारेगा। कुछ भी हो ... आशा नहीं मरती।
ReplyDeleteये अक्सर हो जाता है क्यूँ हर बार तेरे साथ
ReplyDeleteमेरी माँ बहन बेटी मुझसे पूछ बैठते हर रोज
ऐसी उम्मीद तो है पर क्या पताः(
ReplyDeleteसभी दुखी हैं, पर चंद दिनों में सब भूल जायेंगे, पर वो मासूम शायद कभी नही भूल पायेगी...क्या हम वाकई सभ्य और शिक्षित समाज में रहते हैं?
ReplyDeleteरामराम.
chintan ko bibash kartee shandaar panktiyan ..ek prashn bankar jehan me utar gayee hain...sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteआमीन ...
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