मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
ज़रूर याद रखा होगा सबने....माँ का घर कब पराया होता है....अब बिसराता है....सुन्दर भाव शरद जीसादरअनु
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बहुत सुंदर भावनात्मक लाजबाब प्रस्तुति,,,,बधाई शरद जी.,,,,RECENT POST...: दोहे,,,,
सब वहीं हैं,यदि कहीं हैं...
जो दिल के रिश्ते होते हैंवो कभी नहीं खोते हैं
bahut sundar bhavnatmak,aapka swagat haihttp://sanjaykuamr.blogspot.in/2012/07/blog-post_09.html
कुछ अलग हट के हैं ||सादर बधाई स्वीकारें ||
bhaut hi umda......
रिश्ते मानने से होते है होने से नहीं
खुल जाए जो बंध , वो गांठ होती है ?.न टूटे न खुले , वो मायका का रिश्ता ..? स्पेम में शायद कमेन्ट है कृपया ............
बहुत खूब , शानदार प्रस्तुति. कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .
स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ |
सुंदर शब्दों का चयन ,सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में http://madan-saxena.blogspot.in/http://mmsaxena.blogspot.in/http://madanmohansaxena.blogspot.in/
रिश्ते जागते रहते हैं ... बुलाते हैं ... दिल में जिन्दा रहते हैं ...
ज़रूर याद रखा होगा सबने....
ReplyDeleteमाँ का घर कब पराया होता है....अब बिसराता है....
सुन्दर भाव शरद जी
सादर
अनु
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ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनात्मक लाजबाब प्रस्तुति,,,,बधाई शरद जी.,,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: दोहे,,,,
सब वहीं हैं,
ReplyDeleteयदि कहीं हैं...
जो दिल के रिश्ते होते हैं
ReplyDeleteवो कभी नहीं खोते हैं
bahut sundar bhavnatmak,
ReplyDeleteaapka swagat hai
http://sanjaykuamr.blogspot.in/2012/07/blog-post_09.html
कुछ अलग हट के हैं ||
ReplyDeleteसादर बधाई स्वीकारें ||
bhaut hi umda......
ReplyDeleteरिश्ते मानने से होते है होने से नहीं
ReplyDeleteखुल जाए जो बंध , वो गांठ होती है ?.
ReplyDeleteन टूटे न खुले , वो मायका का रिश्ता ..?
स्पेम में शायद कमेन्ट है कृपया ............
बहुत खूब , शानदार प्रस्तुति.
ReplyDeleteकृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .
स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ |
ReplyDeleteसुंदर शब्दों का चयन ,सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में
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रिश्ते जागते रहते हैं ... बुलाते हैं ... दिल में जिन्दा रहते हैं ...
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