मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
बहुत सुंदर
उम्दा ...!
बहुत प्यारी पंक्तियाँ...सादरअनु
अषाढ़ गया, सावन लग गयो,प्रियतम ने भी सुधि न लियोगरजत बद्ररा में हुक उठति है,प्ररदेश में जाकर भूल गयो है,,,,,MY RECENT POST...:चाय....
चर्चा मंच पर है यह टिप्पणी -राधा मन को शरद ही, भावे गोकुल वीर | मिलन आस हो बलवती, बाकी समय अधीर ||
बहुत उम्दा पंक्तियाँ...!
bahut sundar
सावन सा स्पर्श, वाह, बहुत सुन्दर..
बिल्कुल सामयिक चित्र, लगता है इस बार सावन थोडा रूठा हुआ है, शायद जल्द ही जमीन पर बरसने भी लगे. शुभकामनाएं.रामराम.
वाह ... बेहतरीन
खुशियों भरा सावन आये चहुँ ओर हरियाली छाये ,शरद जी ,सुंदर चित्र
sach me sawan ka sparsh man bhi haraa kar detaa hai ...sundar abhivyakti ...shubhkamnayen..
यह है शुक्रवार की खबर । उत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।
बेहद खूबसूरत भाव !!
सब कह तो रहे हैंसुंदर है बहुत हम बस देख रहे हैंकह कुछ नहीं रहे हैं !
bas thoda aur intzar karo sab hara-hara hone wala hai.sunder prastuti.
सुन्दर सामयिक पंक्तियाँ बहुत खूब
बेहतरीन रचना के लिए साधुवाद के साथ-साथ आपको सावन की शुभकामनाएं।
वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति ...!
जी... क्या बात कह दी आपने, वाकई में कभी-कभी जब जीवन में कुछ पीछे छूट जाता है... या कोई रूठ जाता है तो हरा दिखता ही नहीं है.... चाहे वह सावन ही क्यूं न हो.....?
बहुत सुंदर
ReplyDeleteउम्दा ...!
ReplyDeleteबहुत प्यारी पंक्तियाँ...
ReplyDeleteसादर
अनु
अषाढ़ गया, सावन लग गयो,
ReplyDeleteप्रियतम ने भी सुधि न लियो
गरजत बद्ररा में हुक उठति है,
प्ररदेश में जाकर भूल गयो है,,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
चर्चा मंच पर है यह टिप्पणी -
Deleteराधा मन को शरद ही, भावे गोकुल वीर |
मिलन आस हो बलवती, बाकी समय अधीर ||
बहुत उम्दा पंक्तियाँ...!
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteसावन सा स्पर्श, वाह, बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबिल्कुल सामयिक चित्र, लगता है इस बार सावन थोडा रूठा हुआ है, शायद जल्द ही जमीन पर बरसने भी लगे. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteखुशियों भरा सावन आये
ReplyDeleteचहुँ ओर हरियाली छाये ,शरद जी ,सुंदर चित्र
sach me sawan ka sparsh man bhi haraa kar detaa hai ...
ReplyDeletesundar abhivyakti ...
shubhkamnayen..
यह है शुक्रवार की खबर ।
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर ।।
बेहद खूबसूरत भाव !!
ReplyDeleteसब कह तो रहे हैं
ReplyDeleteसुंदर है बहुत
हम बस देख रहे हैं
कह कुछ नहीं रहे हैं !
bas thoda aur intzar karo sab hara-hara hone wala hai.
ReplyDeletesunder prastuti.
सुन्दर सामयिक पंक्तियाँ बहुत खूब
ReplyDeleteबेहतरीन रचना के लिए साधुवाद के साथ-साथ आपको सावन की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......
ReplyDeleteसुन्दर चित्रमय प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteसुन्दर चित्रमय प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteजी... क्या बात कह दी आपने, वाकई में कभी-कभी जब जीवन में कुछ पीछे छूट जाता है... या कोई रूठ जाता है तो हरा दिखता ही नहीं है.... चाहे वह सावन ही क्यूं न हो.....?
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