देखा उनको तो खुद से एतबार खो गया है, पहली नजर में ही उनसे प्यार हो गया है! चुन्नी गले में लपेटे, मासूम सा चेहरा, भोली सी चंचलता पे दिल निसार हो गया है! तुम्हें देख कर ही जाना प्यार क्या है, सूने दिल मे प्यार का विस्तार हो गया! तुम्हे पता हो न हो मेरे हमदम, तुम्हारी याद ही मेरा संसार हो गया है! काश कह पाती मुझसे तू तेरा फैसला, लेकिन अब तो धीर सिर्फ इन्तजार हो गया!
वाह ... भावमय करते शब्द .. लाजवाब करती प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह, मोहिल अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteमन मंदिर मोहित मगन, मुश्किल में मम देह ।
ReplyDeleteजाउंगी मनमीत बिन, कैसे वापस गेह ।
कैसे वापस गेह , संभालो कोई आकर ।
मेरा पावन नेह, बुलाओ भाई रविकर ।
शहनाई सी बाज, आज की गजब आरती ।
मनमोहक अंदाज, स्वयं से खड़ी हारती ।
प्यार और रब्ब दोनों मंदिर में ही बसते हैं ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर मुक्तक......
आपको बहुत बहुत बधाई ...!!
(किसी पत्रिका में देखा था आपको सम्मान मिला )
भावमय बहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.in/2012/07/blog-post_18.html
सुंदर रचना ..
ReplyDeleteभावमय प्रस्तुति ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
वाह....
ReplyDeleteप्रेम की पराकाष्ठा...
बहुत सुन्दर शरद जी.
अनु
बहुत सुंदर कोमल अहसास लिए रचना...
ReplyDeleteसुंदर भाव लिए सुंदर सी रचना .....
ReplyDeleteदेखा उनको तो खुद से एतबार खो गया है,
ReplyDeleteपहली नजर में ही उनसे प्यार हो गया है!
चुन्नी गले में लपेटे, मासूम सा चेहरा,
भोली सी चंचलता पे दिल निसार हो गया है!
तुम्हें देख कर ही जाना प्यार क्या है,
सूने दिल मे प्यार का विस्तार हो गया!
तुम्हे पता हो न हो मेरे हमदम,
तुम्हारी याद ही मेरा संसार हो गया है!
काश कह पाती मुझसे तू तेरा फैसला,
लेकिन अब तो धीर सिर्फ इन्तजार हो गया!
लाजबाब प्रस्तुति,,,,,शरद जी बधाई
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प्रस्फुटित निर्मल भाव मन में , वेद लिखता है .
ReplyDeleteमन रमे जब प्रेम में ,तब भगवान् मिलता है..
अद्भुत भाव लिए पंक्तियाँ जहाँ जाकर मन रम जाता है
एक बार फिर विचार आया क्या कहूँ ?
bahut sundar...ye tasver aapki hai?
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteआइये पाठक गण स्वागत है ।।
लिंक किये गए किसी भी पोस्ट की समालोचना लिखिए ।
यह समालोचना सम्बंधित पोस्ट की लिंक पर लगा दी जाएगी 11 AM पर ।।
बहुत सुंदर !!!
ReplyDeleteमन मंदिर हो जाता है
और देवता से भी
प्यार हो जाता है
आरती करते करते
पता नहीं कब वो
खुद देवता हो जाता है !!
करो निरंतर साधना, उरमन्दिर को खोल।
ReplyDeleteमिला अर्चना के लिए, मानव जन्म अमोल।।
बहुत सुंदर मुक्तक....
ReplyDeleteसुन्दर मुक्तक बधाई शरद जी |
ReplyDeletebahut hee jabakrdast panktiyan...sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteऐसे भाव आखों के सामने आते ही मन में छप जाते हैं |
ReplyDeleteप्रेम ही शाश्वत सत्य है....सुन्दर पन्क्तियां
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