रतजगा हो गया नींद के गांव में
याद अंगार बन कर दहकती रही
नीम ख़ामोश गलियां रही देखतीं
एक परछाई यूं ही भटकती रही
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #रतजगा #नींद #गांव #ख़ामोश #गलियां #देखतीं #परछाई #भटकती #यूंही
No comments:
Post a Comment