शायरी
मावठ* की बारिश पड़ती है,
हम ख़ुश होते हैं
उनकी सोचें जो फुटपाथों
पर ही सोते हैं।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
(*मावठ - जाड़े की बारिश जो फसल के लिए अच्छी मानी जाती है।)
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आदरणीया मैम, बहुत ही भावपूर्ण शायरी । सच है , किसी भी ऋतु की खुशियाँ केवल सक्षम लोग ही मना सकते हैं , परंतु आश्रयहीन फूटपाठ पर सोने वाले गरीबों के लिए कोई भी ऋतु खुशी लेकर नहीं आती । काश कि हम इन सब लोगों के लिए कुछ कर पाते । सादर नमन ।
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