मित्रो, ये है मेरी ग़ज़ल का वह टुकड़ा जो मैंने भारत भवन में अपने वक्तव्य के दौरान सुनाया था...
पढ़ी है कहानी, सुनी है कहानी
इसी ज़िंदगी से चुनी है कहानी
नहीं खेल लफ़्ज़ों का, है आईना ये
हकीक़त से हमने बुनी है कहानी
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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