*(1)*
*ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई*
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
फैला दई मुस्किल जे कैसी
रई न दुनिया पैलऊं जैसी
खरी-खरी अब सुनो हमई से
ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई ...!!
बे ओरें चमगादड़ खाएं
इते हमें उल्टो लटकाएं
जे तरकीब समझ ने आई
ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई ...!!
डर के मारे घरई बिड़े हैं
काज हमाए सबई अड़े हैं
तुमने सबकी बैंड बजाई
ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई ...!!
हम भी ठैरे ठेठ बुंदेला
तुमें न मिलहे कुतका ढेला
हुइए तुमरी चला-चलाई
ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई ...!!
'शरद' कहत है सबई जने से
डरे कोरोना लॉक रये से
तुमरी करहें टांग तुड़ाई
ऐसी कम तैसी, कोरोना तुमाई ...!!
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*(2)*
बतर्ज़ बाम्बुलिया ...
*कोरोना ने कर दओ बवाल रे*
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
बिसर चलो, सबई कछू रे
सबई कछू के जे कोरोना ने कर दओ
बवाल रे
बिसर चलो हो..
बिसर चलो, ठिलियां की रौनकें
ठिलियां की रौनक संगे, फुल्की, चाट रे
बिसर चलो, हो....
बिसर चलो, मंडी औ बजरिया
मंडी औ बजरिया के, बिसरो सनीमा औ मॉल रे
बिसर चलो हो....
बिसर चलो, जोनई से मिलत्ते
जोनई से मिलत्ते ऊकी सकल न देखी अब जाए रे
बिसर चलो.....
बिसर चलो, करजा, उधार रे
करजा, उधार लेबे कोनऊ न अब इते आय रे
बिसर चलो.....
बिसर चलो, 'शरद' की जेएई अरजी रे
जेएई अरजी रे, रखो केवल कोरोना खों याद रे
'शरद' की जेएई अरजी रे.....
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