वे थे मेरे पिता... डॉ शरद सिंह ... फादर्स डे पर...
Ve the mere Pita... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh on Father's Day
Father's Day पर अपने पिताजी को याद करते हुए... जिन्हें अपने बचपन में ही मैंने खो दिया था....
बचपन में ही छूट गई थी उंगली जिनकी
वे थे मेरे पिता, याद आती है उनकी
धुंधली-सी स्मृतियां ही हैं थाती अब तो
मैंने अनुभव की है पीड़ा मां के मन की
- डॉ शरद सिंह
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