Aapradhik Ho Chala Vatavaran ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
उन सभी बच्चियों को याद करते हुए जो आज जीवित होतीं अगर समाज में दरिंदे न होते... आपराधिक हो चला वातावरण हो चला संदिग्ध सबका आचरण जब सुरक्षित ही नहीं हैं बच्चियां उठ गया इंसानियत का आवरण - डॉ शरद सिंह
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